शहजादा दास्तान
"शहज़ादी ज़ैनीफर यह शहज़ादी ज़ैनीफर न हो गयी कोई बला हो गयी। आखिर तुम शहज़ादी ज़ैनीफर से इस क़द्र डरते क्यू हो। वह हमारी तरह एक इंसान है कोई जादूगर या बद रूह है वह जो आज फिर खाली हाथ लौट आये हो। जाओ मैं कुछ नहीं जानता। कुछ भी किसी भी तरह शहज़ादी को उठा कर यहाँ ले आओ जाओ...जाओ!" शहज़ादी हरनास ने अपने सामने खड़े मुहाफिजों पर बिगड़ते हुए कहा . ।
"वह किसी बला से कम नहीं है शहज़ादा हुज़ूर। उसमे आम इंसानो से कई गुना ज़्यादा ताक़त है। तेज़ अंदाज़ी,नेज़ा बाज़ी , .. घुड़ सवारी और शमशेजनी में वह इस क़द्र ताक है की उनके मुक़ाबले पर हम जैसे दस सूरमा भी चले जाये तो वह उन्हें चंद लम्हो में ज़ेर करदे। हमने उन्हें पकड़ने और अगवा करने की बेहद कोशिशे की थीं मगर नहीं शहज़ादा हुज़ूर हम उसका मुक़ाबला नहीं कर सकते। आप बेशक हम पर कोड़े बरसवा दे या भूखा प्यासा ज़न्दान में फिंकवा दे लेकिन शहज़ादी ज़ैनीफर का मुक़ाबला करना हमारे बस की बात नहीं है। "
एक मुहाफ़िज़ ने सर को झुका कर निहायत शर्मिंदा और सहमे हुए अंदाज़ में जवाब दिया और उसकी बात सुन कर शहज़ादा हरनास उनकी जानिब खूंखार नज़रो से देखने लगा। और गुस्से से होंठ काटने लगा।
वह चंद लम्हे उसकी जानिब गुसैल नज़रो से देखता रहा फिर उसने एक झटके से अपनी मियान से तलवार खींची उससे पहले की मुहाफ़िज़ कुछ समझ पाते शहज़ादा हरनास का हाथ बिजली की सी तेज़ी से हरकत में आया। दूसरे ही लम्हे जवाब देने वाले मुहाफ़िज़ का सर कट कर एक झटके से उछल कर दूर जाकर गिरा।
और उसका बे सर का धड़ ज़मीन में गिर कर बुरी तरह से तड़पने लगा। उसकी गर्दन से खून का फव्वारा बहने लगा। अपने साथी का यह हश्र देख कर दूसरे मुहाफ़िज़ घबरा कर उछल कर कई क़दम पीछे हट गए और निहायत दहशत ज़दा निगाहों से शहज़ादा हरनास की जानिब देखने लगे।
"और कौन है जो मेरे हुक्म की तामील करने से इंकार की जुर्रत करता है। शहज़ादा हरनास ने दूसरे मुहाफिजों की जानिब देखते हुए इन्तेहाई गरजदार लहजे में कहा।
"शशा....... शहज़ादा हुज़ूर। हम..... हम.... अभी जाते अभी कुछ ही पल में शहज़ादा ज़ैनीफर को पकड़ कर आपके क़दमों में ला फेकते है।" एक दूसरे मुहाफ़िज़ ने शहज़ादा हरनास को गुस्से में देख कर थर थर कांपते हुए लहजे में कहा। और उसने जल्दी से झुक कर शहज़ादे को सलाम किया और उलटे क़दमों कमरे से बाहर निकल गया।
दूसरे मुहाफिजों ने भी उसकी तक़लीद की और वह भी घबराये हुए अंदाज़ में बाहर चले गए।
शहज़ादा हरनास ने गसीले और नफरत ज़दा अंदाज़ में मुर्दा मुहाफ़िज़ को टांग मरी और उस पर नफरत से थूकते हुए मियान में अपनी तलवार डाल ली फिर उसने ज़ोर से ताली बजायी। फ़ौरन ही एक दरबान अंदर दाखिल हुआ। मुहाफ़िज़ की बेसर की लाश देख कर वह भी ख़ौफ़ज़दा हो गया। "उस लाश को यहाँ से उठाने का बंदोबस्त करो फौरन। "
शहज़ादा हरनास ने उससे तहकिमाना लहजे तेज़ तेज़ क़दम उठाता हुआ कमरे से बाहर आ गया।
मुख्तलिफ राहदरियो से होता हुआ वह एक दूसरे कमरे के दरवाज़े पर आया। जहा दो मुहाफ़िज़ नेज़े जोड़े चौकन्ने खड़े थे। उसे देख कर उन्होंने जल्दी से नेज़े हटा लिए और मोदबाना अंदाज़ में सर झुका कर खड़े रहे।
शहज़ादा हरनास ने उनकी जानिब देखने की ज़हमत भी गवारा न की और दरवाज़े पर लगा पर्दा हटा कर कमरे में दाखिल हो गया।
"आओ बेटा हरनास।, हम शिद्दत से तुम्हारा इंतज़ार कर रहे थे कहो तेकान के हीरे के बारे में कुछ मालूम हुआ। 'कमरे में एक ज़री तख्तपर बैठे हुए बूढ़े शाह आर्थोस ने उसे देख कर पूछा।
"जी अब्बा हुज़ूर हमारे खास सितारा शनास कमबास बोलास ने बताया है की हीरा उस वक़्त मुल्क अफान की शहज़ादी जैनिफर के पास है। जो उस हीरे को एक सियाह थैली में अपने पिटके से बांध कर रखती है। मैंने अपने मुहाफिजों को ख़ुफ़िया तौर पर मुल्क अफान भेजा था।
वह लोग किसी न किसी तरह से शहज़ादी तक पहुंचने में कामयाब हो गए थे , मगर जब उन्होंने शहज़ादी से हीरा छीनना चाहा तो वह उनसे भिड़ गयी। उस कम्बख्त में न जाने किस क़द्र ताक़त है की उसने मेरे एक साथी को मार मार कर अधमरा कर दिया। उनके मुताबिक़ वह बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा कर वापस आये है। "
शहज़ादी हरनाज़ ने परेशानी से पुर अंदाज़ में जवाब देते हुए कहा।
"मुल्क अफान की शहज़ादी जैनिफर। ओह सच में बेटा वह तो बहुत खतरनाक लड़की है। शाह आफान ने उसे हर क़िस्म की जंगी उलूम से रोशनास करवा रखा है। वह सामान हर्ब को उस खूबी से चलाना जानती है कि बड़े से बड़े सुरमा भी उसके सामने चंद लम्हो के लिए भी नहीं ठहर सकते। खास तौर पर शमशेर जनि में इस क़द्र ताक है की पुरे मुल्क में उससे टक्कर लेने वाला कोई नहीं। अपने साथियो को उस तक भेजने से पहले कम अज़ कम हमसे ही मश्वरा ले लिया होता। शाह आर्थोस ने परेशान लहजे में कहा।
"हैरत है हर शख्स शहज़ादी ज़ैनीफर की इस क़द्र तारीफ़ कर रहा है की उसकी तारीफ़ सुन सुन कर मेरे कान पक गए है। मालूम होता है अभी शहज़ादी ज़ैनीफर का मुझ जैसे किसी बड़े योद्धा से से टकराव नहीं हुआ है । मुझसे बढ़ कर सामान हर्ब इस्तेमाल करने वाला ताक़तवर इंसान कौन हो सकता है। दुनिया का बड़े से बड़ा योद्धा आज तक मेरी तलवार के सामने नहीं टिक सका। फिर भला यह शहज़ादी ज़ैनीफर क्या चीज़ है। एक मर्तबा अगर मेरा उससे टकराव हो जाये तो पहले ही वार में उसकी गर्दन न उड़ा दूँ तो मेरा नाम शहज़ादा हरनास नहीं। " शहज़ादा हरनास ने बादशाह के साथ वाले तख़्त पर बैठते हुए गुरुर भरे लहजे में कहा।
"बेशक, ,बेशक। तुम दरुस्त कहते हो बेटा तुम जैसा शह ज़ोर इस दुनिया में न कोई है और न ही को हो सकता है। मगर बेटा एक बात याद रखो।
"क्या मतलब। मैं आपकी बात समझा नहीं अब्बा हुज़ूर शहज़ादा हरनास ने हैरत से पूछा।
"बेटा जो काम अक़्ल व फ़हम से निकलता हो उसमे अगर ज़ोर ज़बरदस्ती की जाये तो बना बनाया काम भी बिगड़ जाया करता है। तुम अच्छी तरह जानते की अफान आर्थोस की एक छोटी रियासत है, और हमारी सल्तनत उससे कई गुना ज़्यादा बड़ी है। और उसके मुक़ाबले में हमारी फ़ौज भी बेहद बड़ी है। हम एक अरसा से इस रियासत को हासिल करने के ख्वाब देख रहे थे। मगर निजी उलझनों और मसरूफियत की वजह से हमने कभी उस तरफ ध्यान ही नहीं दी थी। बेटा मेरी बात समझने की कोशिश करो अगर हम शहजादी ज़ैनीफर को यहाँ ले आये तो उसके साथ साथ न सिर्फ तीकान हीरा आजयेगा बल्कि अफान की सारी की सारी रियासत हमारे क़दमों में होगी। और उसके लिए न ही हमें खून बहाना पड़ेगा और न ही कोई दूर तक जाना पड़ेगा।"
शाह आर्थोस ने शहजादे हरनास की जानिब देखते हुए कहा।
"ओह आप बजा फरमा रहे है अब्बा हुज़ूर ! सच उस तरफ मेरा ख्याल ही नहीं गया । सुना है की शहज़ादी ज़ैनीफर बहुत खूबसूरत है उसके लिए दूर दराज़ से रिश्ते आ रहे है। और मुझे यक़ीन है कि शाह आफान हमें शहज़ादी ज़ैनीफर का रिश्ता देने में हरगिज़ हील व हुज्जत नहीं करेगा। "
शहज़ादा हरनास ने इस बात में सर हिलाते हुए कहा। और शाह आर्थोस के लबो पर मुस्कराहट आ गई, उसने दिल ही दिल में सुकून की सांस लिया कि ज़िद्दी शहज़ादे के दिमाग मे उसकी बात समझ आ गयी। वर्ना वह उसकी तबियत से अच्छी तरह से वाक़िफ़ था। शहजादा हरनास जब तक ज़ोर ज़बरदस्ती न करे और हर तरफ मौत का बाजार न गर्म कर दे उसे क़रार न आता था। और उस वक़्त क़द्र आसानी से उसकी बात मान जाना सच में शाह आर्थोस के लिए ताज्जुब की बात थी।
वह खुश हो कर शहज़ादा हरनास से सलाह मशवरा करने लगा।
हमे सब से पहले अपने शाही एलची भेजने चाहे वह उनका पैगाम लेकर जायँगे अगर तो शाह आर्थोस ने कोई मुनासिब जवाब दिया तो ठीक है और अगर उसने इनकार किया तो, शहज़ादा हरनास ने साफ़ साफ़ कह दिया था की वह अपनी पूरी फौज लेकर रियासत अफान पर चढ़ दौड़ेगा और रियासत की ईंट से ईंट बजा कर ज़बरदस्ती शहज़ादी ज़ैनीफर को ले आएगा।
उसका फैसला सुनकर शाह आर्थोस एक गहरी सांस लेकर खामोश हो गया था। वह खुद अपने बेटे के गुस्से से घबराता था।
शहज़ादा हरनास जब गुस्से में होता तो किसी को खातिर में न लाता था। यही वजह थी की महल तो महल पूरी रियासत के लोग शहज़ादा हरनास से खौफ खाते थे। और जब जंहा से शहज़ादा हरनास की सवारी गुज़र ना होता तो दुकाने और बाजार खुले छोड़ कर ख़ौफ़ज़दा हो कर अपने घरो में घुस जाया करते थे। क्यू की वह सब शहज़ादा हरनास की ज़ालिमाना फितरत से बखूबी वाक़िफ़ थे। शहज़ादा हरनास पर जब कभी गुस्सा आता वह तलवार खींच कर यु ही बाज़ारो में निकल जाता था और बेजा लोगो को क़त्ल करता रहता था और गुस्सा चूँकि हर वक़्त उसकी नाक पर धरा रहता था। इसलिए तक़रीबन सब लोग ही उसके क़रीब आने से कतराते थे। यही हाल बादशाह का भी था। वह जानता था कि अगर शहजादे को कभी उस पर गुस्सा आ गया तो वह उसे भी मरने से कभी नहीं चूकेगा।
सलाह मश्वरे के बाद बादशाह आर्थोस ने रियासत के बादशाह अफान के पास शहज़ादा हरनास का शहज़ादी जैनिफर के रिश्ते के लिए पैगाम भेजा मगर दूसरे ही रोज़ शाही एलची मुंह लटकाये वापस आ गये।
बादशाह को उन्होंने बताया कि शाह आफान ने साफ़ इंकार कर दिया है बल्कि शाह आर्थोस और शहज़ादा हरनास को भी ज़ालिम , कातिल, बद फितरत इंसान कह कर उनकी शान में गुस्ताखी की है।"
यह सुनना था कि दरबार में बैठा हुआ शहज़ादा हरनास गुस्से से आग बबूला हो गया , शदीद गुस्से के आलम में उसका चेहरा आग के शोलो के मानिंद तपने लगा और खून आँखों उतर आया।
"शाह आफान की यह मजाल उसने शहज़ादा हरनास को ठुकराया है। अब शहज़ादा हरनास उस पर आसमानो के देवता का क़हर बन कर टूटेगा और सल्तनत अफान की ज़मीन के चप्पे चप्पे को उनके खून से रंग डालेगा।
अब्बा हुज़ूर मुझे इजाज़त दे मैं आज और अभी अफान पर फ़ौज चाहता हूँ। शहज़ादा हरनास ने गुस्से से दहाड़ते हुए कहा।
"मगर शहज़ादा आलम यह मुनासिब नहीं होगा। बगैर किसी वजह और मसले की किसी रियासत पर फ़ौज चढ़ाना गलत होगा। "
एक वज़ीर उठ कर कहा। उसकी बात सुन कर शहज़ादा हरनास ने घूर कर उसकी जानिब देखा।
अपनी जगह से उठ कर वह उसके क़रीब आ गया और फिर उसने अपने कमर में से खंजर निकला और एक झटके से उसके सीने में ऐन दिल के क़रीब घोंप दिया।
उसके मुंह से एक ज़ोरदार चीख निकल गयी और चीखता हुआ उछल कर ज़मीन पर गिर पड़ा और चंद लम्हे तड़प कर शांत हो गया।
शहज़ादा हरनास की यह हालत देख दरबार में सनसनी की लहर दौड़ गयी। वहा मौजूद एक का चेहरा फ़क्क़ हो गया।
"अब्बा हुज़ूर मैं आपके फैसले का मुन्तज़िर हूँ।" शहज़ादा हरनास की गरजदार आवाज़ दरबार में गूंज उठी।
"जैसी तुम्हारी मर्ज़ी बेटा। हम भला तुम्हारे फैसले के खिलाफ कोई बात किस तरह से कर सकते है। अभी सिपसलार को पैगाम भेज दो की वह हमले तैयारी करे। " बादशाह आर्थोस ने जल्दी से कहा वज़ीर आज़म को जल्दी जल्दी हिदायत देने लगा।
उनकी हिदायत से मुतमईन हो कर शहज़ादा हरनास तेज़ तेज़ क़दम उठता हुआ दरबार से निकलता चला गया। इस वक्त उसका चेहरा गुस्से से तमतमाया हुआ था और उसकी आँखों में दरिंदगी अमेज़ चमक लहराती हुई नज़र आ रही थी । जैसे वह महाज़ पर नहीं बल्कि जंगल में जाकर मासूम जानवरो का शिकार करने जा रहा हो।
Gunjan Kamal
16-Sep-2023 08:49 AM
👏👌
Reply